बिहार का वोटर घोटाला: 80,000 नकली पते और लोकतंत्र पर खतरा
दोस्तों, जब मैंने सुना कि **Bihar के तीन विधानसभा क्षेत्रों—Pipra, Bagaha और Motihari—में ECI ने करीब 80,000 वोटर्स को नकली या गलत पतों पर रजिस्टर किया, तो meri रूह काँप उठी. ये कोई आम गलती नहीं है—ये एक नियोजित घोटाला है।
Pipra में Galimpur गांव के Booth 319 और 320 में प्रत्येक एक ही पते पर 509 और 459 लोगों को रजिस्टर किया गया—जहाँ बहुत से वोटर्स खुद चौंक गए कि उन्होंने वहां वोट रजिस्टर कैसे कराया .
गाँव की ज़मीन पर—नकली पते और वोटर्स की कहानियाँ
हमारे गाँवों में, जहाँ अलग-अलग जातियाँ (Musahar, Baniya, Brahmin आदि) अलग-अलग रहती हैं, वहाँ ईसीआई ने अचानक सबको एक ही छत के नीचे लाकर वोटर लिस्ट बना डाली। जब एक गाँववाला बोला, “यह मज़ाक नहीं है, यह गड़बड़ है,” तो उसकी आवाज़ में गुस्सा और निराशा दोनों थी .
Ajay Kumar Jha ने 2003 की voter list दिखाई, जहाँ सबका अलग पता था—इस 2025 की SIR (Special Intensive Revision) की प्रक्रिया में आया बदलाव, सिर्फ सुधार नहीं, बल्कि समस्या का हिस्सा बन गया .
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80,000 वोटर्स… कितने वोट?
इन तीनों सीटों में कुल लगभग 10 लाख वोटर्स हैं। 80,000 युवाओं का यह “bundling” मतलब करीब 8% वोटर्स ही शक के घेरे में आ गए हैं . यह केवल एक छोटी सी शायदलह है, लेकिन संख्या इतनी बड़ी कि लोकतंत्र की नींव हिल जाए।
डुप्लीकेट वोटर्स, UP से आने वाले वोटर्स—यह सब भी सवालों पर सवाल खड़े करते हैं कि क्या यह सचमुच की “revision” है, या फिर manipulation का एक हिस्सा है .
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विरोध की आवाज़ें और ECI की प्रतिक्रिया
Rahul Gandhi ने इस मुद्दे को vote-theft की संज्ञा दी, और आरोप लगाया कि ECI इसमें निष्क्रिय नहीं, बल्कि सहयोगी है .
वहीं, ECI कहता है कि objections की प्रक्रिया चली, लेकिन कोई पार्टी उठकर शिकायत नहीं लाई—मतलब सब चुप रहे क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था या उन्हें बताया ही नहीं गया .
लेकिन, Supreme Court भी अब इस SIR प्रक्रिया पर सक्त नजर डाल रहा है, और deleted voters की सूचियाँ और कारणों का खुलासा करने का निर्देश दे चुका है .
मेरे दिल की बात…
Imagine करो—एक आदमी जो पिछले कई चुनावों से वोट देता आया हो, लेकिन अब अचानक उसे पता चलता है कि उसका नाम या तो डुप्लीकेट है, या किसी नकली पते पर रखा गया है। या worst case—उसका वोट ही किसी और ने काट लिया हो। यह डर नहीं, यह जख्म है लोकतंत्र का.
हम उम्मीद करते हैं कि:
ECI पूरी जांच करे—door-to-door verification, जो पहले वादा किया गया था।
वोटर डेटा साफ-साफ सार्वजनिक किया जाए, ताकि हर नागरिक उसकी पुष्टि कर सके।
वोटर का अधिकार सुरक्षित रहे, न कि केवल तकनीकी या लापरवाही का शिकार.
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